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Thursday, April 17

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An Ancient Martial Arts of India

मल्ल्युद्ध विश्व की प्राचीतम युद्धकला: एक परिचय

  मल्लयुद्ध भारत की एक पारम्परिक युद्धकला है। भारत के अतिरिक्त यह पाकिस्तान, बांग्लादेश तथा श्रीलंका सहित साउथ एशिया में भी प्रचलित थी। यह द...

 

मल्लयुद्ध भारत की एक पारम्परिक युद्धकला है। भारत के अतिरिक्त यह पाकिस्तान, बांग्लादेश तथा श्रीलंका सहित साउथ एशिया में भी प्रचलित थी। यह दक्षिणपूर्वी एशियाई कुश्ती की शैलियों जैसे नाबन से निकट संबंधी है।

मल्लयुद्ध चार प्रकारों में विभाजित है जिनमें से प्रत्येक एक हिन्दू देवता या पौराणिक योद्धा के नाम पर है:- हनुमन्ती तकनीकी श्रेष्ठता पर केन्द्रित है, जाम्बुवन्ती प्रतिद्वन्दी को आत्मसर्मपण के लिये मजबूर करने हेतु लॉक्स तथा होल्डस का प्रयोग करती है, जरासन्धी अंगों तथा जोड़ों को तोड़ने पर केन्द्रित है जबकि भीमसेनी विशुद्ध रूप से ताकत पर केन्द्रित है।

यह कुस्ती या पहलवानी का प्राचीन रूप है। इसके दो प्रमुख प्रकार हैं धरनीपट्ट एबं आसुरा। धरनीपट्ट में हार-जीत का निश्चय विपक्षी को धरती पर पीठ के बल गिराना होता है। भीमसेनी तथा हनुमन्ती इसी तरह की उदहारण है। आसरा, मुक्त युद्ध है इसमे विपक्षी चोट पहुचाई जा सकती है लेकिन मृत्यु नहीं होनी चाहिए।

वर्तमान में विलुप्ति के कगार पर खड़ी इस कला को इंटरनेशनल  फेडरेशन ऑफ़ मल्ल्युद्ध (IFM) ने एक खेल  के रूप में दोबारा प्रचारित एवं प्रसारित किया हैं।  

इंटरनेशनल फेडरेशन ऑफ़ मल्ल्युद्ध की स्थापना 2019 में भारतीय प्राचीन कला मल्ल्युद्ध को नवजीवन देने के लिए की गयी और मल्ल्युद्ध को युनेस्को द्वारा ट्रेडिशनल मार्शल आर्ट्स के लिए प्रमाणित संस्था, वर्ल्ड मार्शल आर्ट्स यूनियन, साउथ कोरिया द्वारा स्वीकृत किया गया हैं।  इसके साथ ही मल्ल्युद्ध को इंडिया में इंडियन ट्रडिशनल स्पोर्ट्स एंड गेम्स फेस्टिवल और नेशनल मार्शल आर्ट्स गेम्स में भी शामिल किया गया।  

मल्ल्युद्ध विश्व की प्राचीतम युद्धकला: एक परिचय

Welcome to Mallyuddha India

Mallyuddha Demonstration Photographs

मल्लयुद्ध का खेलो इंडिया रूरल एवं इंडीजीनस नेशनल गेम्स में स...